Jainika Dymond

home / Jainika Dymond

Jainika Dymond

जिसमें अच्छी किस्म के गेहूं को दोबारा से छाना जाता है ताकि उसमें से छोटे पतले गेहूं अलग हो जाते हैं और कुएं से हाथ के द्वारा रस्सी की मदद से खींचे गए छनेपानी का ही उपयोग गेहूं को धोने के लिए किया जाता हे क्यों कि हमारे अनेक साधु संत एवं प्रतिमा धारी हाथ से खींचे गए जल का प्रयोग से बनी साम्रगी का ही उपयोग अपनी आहार चर्या में करते हैं और आहार का मुख्य स्रोत गेहूं ही होता है ,जिसमें बिलचानी के माध्यम से जीवों की रक्षा की जाती हैं

बिलचानी से तात्पर्य ,एक मोटे कपड़े का उपयोग पानी छानने के लिए किया जाता हे जिसमें सूर्य की किरणें आरपार ना हो ,जिस पात्र का उपयोग पानी छानने के लिए किया जाता है उस पात्र से कपड़ा 3 गुना बढ़ा होता हे, जैन धर्म के अनुसार अन छने पानी में असंख्यात जीव होते हे जिनकी बिलचानी के माध्यम से रक्षा की जाती है, पानी को छान कर पुनः उन जीवों को उसी जल स्रोत में छोड़ दिया जाता हे और असंख्यात जीवों की रक्षा की जाती हे