जैनिका समूह के द्वारा अच्छी एवं स्वादिष्ट किस्म के गेहूं की जाती का चयन करके उनका क्रय किया जाता हैं
फिर उसे अपने कार्य स्थल पर ले जाकर गेहूं के शुद्धिकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है
सबसे पहले, बड़ी बड़ी चादरों को कुएं के छने पानी के द्वारा धोकर सुखाया जाता है
उनके सूखने के उपरांत उन्हें कार्यस्थल की बड़ी बड़ी छतों पर या साफ आंगन में इन चादरों को बिछाया जाता हे फिर कुएं के छने पानी से जैन श्रावकों के द्वारा गेहूं को धोकर इन चादरों पर फैलाया जाता हैं गेहूं को धोने का कार्य सुबह 7 बजे से होता हैं और।शाम के 7 बजे तक गेहूं को सुखाने के लिए रखा जाता हे,7 बजे के बाद गेहूं को बड़ी बड़ी बरसाती से ढाक दिया जाता हे
ताकि यही मौसम अचानक खराब हो तो गेहूं पर ए भी पानी की बूंद न पड़ सके,और रात्रि के समय छोटे मोटे जीव जंतु गेहूं पर विचरण ना कर सके ना ही गेहूं की अशुद्ध कर सके